वैश्वीकरण युग में
डॉ अंबेडकर की प्रासंगिकता
सत्यमित्र सिंह
राजकीय महाविद्यालय सितारगंज
उद्धम सिंह नगर
उत्तराखंड
शोध सार
डॉ भीमराव अंबेडकर को आधुनिक भारत का निर्माता व दलित के मसीहा के रुप में जाना जाता है ।इनके दलित की श्रेणी में महिला कामगार व सामाजिक आर्थिक रुप से पिछड़े लोग आते हैं । डॉक्टर अंबेडकर ने अपने जीवन में हिंदू सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ विचार प्रस्तुत किए । इन्होंने आजीवन समाज के शोषित श्रमिक व महिला वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए कार्य किया तथा दलित वर्ग पर होने वाले अन्याय का ही विरोध नहीं किया अपितु उनमें आत्म-गौरव,स्वावलम्बन,आत्मविश्वास, आत्म सुधार तथा आत्म विश्लेषण करने की शक्ति प्रदान की । दलित उद्धार के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास किसी भी दृष्टिकोण से आधुनिक भारत में बहुत अहम हैं। इनका मिशन स्वतंत्रता, समानता और बन्धुता के आधार पर आधुनिक भारत का निर्माण करना था ।
मुख्य शब्द-
श्रम, सामाजिक व्यवस्था, धर्म दलित,शिक्षा
विश्लेषण
आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक योगदान
1.भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर द्वारा लिखित शोध ग्रंथ रूपये की समस्या-उसका उदभव तथा उपाय और भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास, ग्रन्थों और हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य के आधार पर 1935 से हुई।
इनके शोध ग्रंथ 'ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास' के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।कृषि में सहकारी खेती के द्वारा पैदावार बढाना, सतत विद्युत और जल आपूर्ति करने का उपाय बताया।औद्योगिक विकास, जलसंचय, सिंचाई, श्रमिक और कृषक की उत्पादकता और आय बढाना, सामूहिक तथा सहकारिता से प्रगत खेती करना, जमीन के राज्य स्वामित्व तथा राष्ट्रीयकरण से सर्वप्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी गणराज्य की स्थापना करना।सन 1945 में उन्होंने महानदी का प्रबंधन की बहुउददे्शीय उपयुक्तता को परख कर देश के लिये जलनीति तथा औद्योगिकरण की बहुउद्देशीय आर्थिक नीतियां जैसे नदी एवं नालों को जोड़ना, हीराकुण्ड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केन्द्रीय जल एवं विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किये। सन 1944 में प्रस्तावित केन्द्रिय जल मार्ग तथा सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय द्वारा अनुमोदित किया गया तथा बड़े बांधोंवाली तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया।उन्होंने भारत के विकास हेतु मजबूत तकनीकी संगठन का नेटवर्क ढांचा प्रस्तुत किया।उन्होंने जल प्रबंधन तथा विकास और नैसर्गिक संसाधनों को देश की सेवा में सार्थक रुप से प्रयुक्त करने का मार्ग प्रशस्त किया।
आर्थिक समाजिक व राजनीतिक में एक वोट एकमत…..
25 नवंबर 1949 को कहा, " 26 जनवरी 1950 को हम अंतर्विरोधों के जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। राजनीति में हम समानता प्राप्त कर लेंगे। परंतु सामाजिक-आर्थिक जीवन में असमानता बनी रहेगी। राजनीति में हम यह सिद्दांत स्वीकार करेंगे कि एक आदमी एक वोट होता है और एक वोट का एक ही मूल्य होता है । अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन में अपनी सामाजिक और आर्थिक संरचना के कारण हम यह सिद्दांत नकारते रहेंगे कि एक आदमी का एक ही मूल्य होता है। कब तक हम अंतर्विरोधों का ये जीवन बिताते रहेंगे। कह तक हम अपने सामाजिक और आर्थिक जीवन में समानता को नकारते रहेंगे ? बहुत दिनो तक हम उसे नकारते रहे तो हम ऐसा राजनीतिक लोकतंत्र खतरे में डाल कर ही रहेंगे । जिसनी जल्दी हो सके हमें इस अंतर्विरोध को दूर करना चाहिये ।वरना जो लोग इस असमानता से उत्पीडि़त है वे इस सभा द्वारा इतने परिश्रम से बनाये हुये राजनीतिक लोकतंत्र के भवन को ध्वस्त कर देंगे। "
उधोग व भूमि राष्ट्रीकरण
" समाजवादी के रुप में इनकी जो ख्याती है उसे देखते हुये यह प्रसताव निराशाजनक है । मैं आशा करता था, कोई ऐसा प्रावधान होगा जिससे राज्यसत्ता आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय को यथार्थ रुप दे सके । उस नजरिए से मै आशा करता था कि ये प्रस्ताव बहुत ही स्पष्ट शब्दों में घोषित करे कि देश में सामाजिक आर्थिक न्याय हो । इसके लिये उघोग-धंधों और भूमि का राष्ट्रीयकरण होगा । जबतक समाजवादी अर्थतंत्र न हो तबतक मै नहीं समझता , कोई भावी सरकार जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय करना चाहती है वह ऐसा कर सकेगी । "
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को अम्बेडकर द्वारा हिल्टन यंग कमीशन (भारतीय मुद्रा और वित्त पर रॉयल कमीशन के रूप में भी जाना जाता है) में दी गई दिशानिर्देशों के अनुसार संकल्पित किया गया था, द प्रॉब्लम ऑफ द रुपया - इट ऑरिजन एंड इट सॉल्यूशन।अम्बेडकर यह भी जानते थे कि रुपया की समस्या अंततः घरेलू मुद्रास्फीति की समस्या से जुड़ी हुई है।
राज्यो का बटवारा
अंबेडकर अपनी किताब , ' स्टेट्स एंड माइनरटिज " में राज्यो के विकास का खाक भी खिचते नजर आते है । जिस यूपी को लेकर ाज बहस हो रही है कि इतने बडे सूबे को चार राज्यों में बांटा जाना चाहिये । वही यूपी को स्पेटाइल स्टेट कहते हुये अंबेडकर यूपी को तीन हिस्से में करने की वकालत आजादी से पहले ही करते है ।
किसानों की समस्या- अपनी किताब ' स्माल होल्डिग्स इन इंडिया " में किसानो के उन सवालों को 75 बरस पहले उठाते हैं, जिन सवालों का जबाब आज भी कोई सत्ता दे पाने में सक्षम हो नहीं पा रही है । अंबेडकर किसानों की कर्ज माफी से आगे किसानो की क्षमता बढाने के तरीके उस वक्त बताते है । जबकि आज जब यूपी में किसानो के कर्ज माफी के बाद भी किसान परेशान है । और कर्ज की वजह से सबसे ज्यादा किसानों की खुदकुशी वाले राज्य महाराष्ट्र में सत्ता किसानों की कर्ज माफी से इतर क्षमता बढाने का जिक्र तो करती है लेकिन ये होगा कैसे इसका रास्ता बता नहीं पाती ।1927 का महाद सत्याग्रह अम्बेडकर के राजनीतिक विचार और कार्रवाई में परिभाषित क्षणों में से एक था। महाराष्ट्र में महाद के छोटे शहर में आयोजित, यह सत्याग्रह गांधी के दांडी मार्च से तीन साल पहले आयोजित किया गया था। जबकि नमक गांधी के अभियान के केंद्र में था, पेयजल अम्बेडकर के क्रूसेड के केंद्र में था।
महाद में चावदार झील से पानी पीने के लिए दलितों के एक समूह की अगुआई करके, अम्बेडकर ने दलितों के अधिकार को सार्वजनिक जल स्रोतों से पानी लेने का अधिकार नहीं दिया, उन्होंने दलित मुक्ति के बीज बोए। अपने प्रसिद्ध उद्धरण में, उन्होंने कहा,"हम चावदार टैंक नहीं जा रहे हैं ताकि वह केवल पानी पी सके। हम टैंक पर जा रहे हैं ताकि हम यह भी कह सकें कि हम भी दूसरों की तरह इंसान हैं। यह स्पष्ट होना चाहिए कि समानता के मानदंड को स्थापित करने के लिए इस बैठक को बुलाया गया है। "
हिन्दु कोड विल -27 सितंबर 1951 को अंबेडकर ने नेहरु को इस्तीफा देते हुये लिखा , " बहुत दिनों से इस्तीफा देने की सोच रहा था। एक चीज मुझे रोके हुये था, वह ये कि इस संसद के जीवनकाल में हिन्दूकोड बिल पास हो जाये । मैं बिल को तोड़कर विवाह और तलाक तक उसे सीमित करने पर सीमित हो गया थ। इस आशा से कि कम से कम इन्हीं को लेकर हमारा श्रम सार्थक हो जाये । पर बिल के इस भाग को भी मार दिया गया है । आपके मंत्रिमंडल में बने रहने का कोई कारण नहीं दिखता है । "
पँचायत स्तर पर चुनाव विरोध
आंबेडकर पंचायत स्तर के चुनाव का भी विरोध कर रहे थे । क्योकि उनका साफ मानना था कि चुनाव जाति में सिमटेंगे । जाति राजनीति को चलायेगी । और असमानता भी एक वक्त देश की पहचान बना दी जायेगी ।अकबर इलाहाबादी के शब्दों में….
"खींचो न कमानों को न तलवार निकालो
जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो"
हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि 'एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता' को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता। इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
धर्म मनुष्य के लिए हैं-‘तुम्हारी मुक्ति का मार्ग न तो धर्मशास्त्र हैं, न ही मंदिर. तुम्हारा वास्तविक उद्धार उच्च शिक्षा, ऐसे रोजगार जो तुम्हें उद्यमशील बनाएं, श्रेष्ठ आचरण एवं नैतिकता में निहित है. इसलिए तीर्थयात्रा, व्रत–पूजा, ध्यान–आराधन, आडंबरों और कर्मकांडों में अपना बहुमूल्य समय व्यर्थ मत जाने दो. धर्मग्रंथों का अखंड पाठ करने, यज्ञाहुति देने तथा मंदिरों में माथा टेकने से तुम्हारी दासता दूर नही होगी. न गले में पड़ी तुलसी–माल तुम्हारे लिए विपन्नता से मुक्ति का सुख–संदेश लेकर आएगी. और काल्पनिक देवी–देवताओं की मूर्तियों के आगे नाक रगड़ने से भुखमरी, दुख–दैन्य एवं दासता से भी तुम्हारा पीछा छूटने वाला नहीं है. इसलिए अपने पुरखों की देखा–देखी चिथड़े मत लपेटो. दड़बे जैसे घरों में मत रहो. मत इलाज के अभाव में तड़फ–तड़फ कर जान गंवाओ. भाग्य और दैव–भरोसे रहने की आदत से बाज आओ. तुम्हारे अलावा कोई तुम्हारा उद्धारक नहीं है. खुद तुम्हें अपना उद्धारक बनना है. धर्म मनुष्य के लिए है. मनुष्य धर्म के लिए नही है. जो धर्म तुम्हें मनुष्य मानने से इन्कार करता है, वह अधर्म है. धर्म के नाम पर कलंक है. जो ऊंच–नीच की व्यवस्था का समर्थन करे, आदमी–आदमी के बीच भेदभाव को बढ़ावा दे, वह धर्म हो ही नहीं सकता. असल में वह तुम्हें गुलाम बनाए रखने का षड्यंत्र है।
1942 से 1946 तक वाइसराय की परिषद में श्रम के सदस्य के रूप में, डॉ अम्बेडकर कई श्रम सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। नवंबर 1 9 42 में नई दिल्ली में भारतीय श्रम सम्मेलन के 7 वें सत्र में उन्होंने कामकाजी घंटों को 12 घंटे से 8 घंटे तक बदल दिया।
उन्होंने महंगाई भत्ता, छुट्टी लाभ, कर्मचारी बीमा, चिकित्सा छुट्टी, बराबर काम के लिए समान वेतन, न्यूनतम मजदूरी और वेतनमान के आवधिक संशोधन जैसे श्रमिकों के लिए कई उपाय भी पेश किए। उन्होंने ट्रेड यूनियनों को भी मजबूत किया और पूरे भारत में रोजगार आदान-प्रदान की स्थापना की।महिला संघर्ष के इतिहास की 20वीं सदी में सबसे बडी विजय थी। हिंदू विवाह अधिनियम के माध्यम से डा. आंबेडकर भारत में महिलाओं के सबसे बडे हितैषी कहे जा सकते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद (14), 15(3), 16(1) और 16(2) में महिलाओं के साथ भेदभाव के खिलाफ उचित प्रबंध किये गए हैं और उन्हें समानता का दर्जा देने के लिए प्रावधान किये गए हैं।
अर्थशास्त्री, शिक्षाविद और भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार, अम्बेडकर ने समाज से भेदभाव, गिरावट और वंचितता को दूर करने के लिए अपनी सारी ज़िंदगी लड़ी व शिक्षा को मुख्य आधार बनाया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा संबंधी आयाम भारतीय सामाजिक संरचनाओं का प्रगति के पथ पर ले जाने के लिए सार्थक कदम है। वे शिक्षा को देश तथा समाज के उत्थान एवं विकास का साधन तो मानते ही थे साथ ही साथ सामाजिक , स्वतंत्रता , समता और भातृत्व की भावना के विकास का मार्ग की मानते है। आज डॉ अंबेडकर के ख्याति सामाजिक दार्शनिक के उदरूप में प्रसिद्ध है वह समाज दर्शन के आधुनिक उदगाता ऋषि के रूप में भविष्य में सदस्य भी पहचाने जाएंगे ।अम्बेडकर शिक्षा के बदौलत आए लेकिन वह भारत के महानतम नेताओं व आज विश्व में भी एक पहचान बन गए है।
सन्दर्भ
1. बाबासाहेब और उनके संस्मरणः मोहनदास नैमिशराय। संगीता प्रका. दिल्ली; संस्करण- 1992
2. बाबासाहेब का जीवन संघर्षः चन्द्रिकाप्रसाद जिज्ञासु। बहुजन कल्याण प्रका. लखनऊ;संस्करण- 1961-82
3. आधुनिक भारत के निर्माताः भीमराव अम्बेडकरः डब्लू. एन. कुबेर। प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली; संस्करण- 1981
4. डॉ. अम्बेडकरः लॉइफ एॅण्ड मिशनः धनंजय कीर। पॉपुलर प्रका. बाम्बे, संस्करण- 1954- 87
5. डॉ. अम्बेडकर; कुछ अनछुए प्रसंगः नानकचन्द रत्तू। सम्यक प्रका. दिल्ली, संस्करण- 2003-16.
6. बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के सम्पर्क में 25 वर्षः सोहनलाल शास्त्री बी. ए.। सिद्धार्थ साहित्य सदन दिल्ली, संस्करण 1975।
7. डॉ. बाबासाहब अम्बेडकरः वसन्त मून। अनुवा.- आशा दामले। नेशनल बुक टस्ट इण्डिया। संस्करण- 2002
8. डॉ. बी. आर. आंबेडकर: व्यक्तित्व और कृतित्व, पृ. 15 ; डॉ. डी. आर. जाटव। समता साहित्य सदन , जयपुर (राज. ) संस्करण 1984
9. भारतरत्न डॉ. अम्बेडकर , व्यक्तित्व एवं कृतित्व। सम्पादक डॉ रामबच्चन राव, सागर प्रकाशन मैनपुरी , संस्करण-1993
10.आलेख व व्यक्ति चित्र ,पृ74;विधा प्रकाशन बाजपुर(उत्तराखंड)2023