Tuesday, November 1, 2022

भारतीय संविधान की प्रस्तावना

 भारतीय संविधान की प्रस्तावना


“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी ,पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य[1] बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:


सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में,

व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता[2] सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,

दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।



भारतीयता की प्रकृति

                                                       भारतीयता की प्रकृति

  

 डॉ सत्यमित्र सिंह
राजकीय महाविद्यालय सितारगंज
उद्धम सिंह नगर,उत्तराखंड
E mail.com- dr.satyamitra@gmail.com


भारतीयता की प्रकृति से तात्पर्य उन मान बिंदुओं से है जिनकी उपस्थिति में भारतीयता का आभास होता है। भारतीयता निम्नांकित बिंदुओं/अवधारणाओं से प्रकट होती है-


(१) वसुधैव कटुम्बकम् की अवधारणा : 


.संपूर्ण विश्व को परिवार मानने की विशाल भावना भारतीयता में समाविष्ट हैं।


अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्।

उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥


(यह मेरा है, यह पराया है, ऐसे विचार तुच्छ या निम्न कोटि के व्यक्ति करते हैं। उच्च चरित्र वाले व्यक्ति समस्त संसार को ही कुटुम्ब मानते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम का मन विश्वबंधुत्व की शिक्षा देता है।)


(२) विश्व कल्याण की अवधारणा :


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुःख भाग्भवेत॥


भारतीय वाङ्मय में सदा सबके कल्याण की कामना की गई है। उसे ही सार्वभौम मानवधर्म माना गया है। मार्कण्डेय पुराण में सभी प्राणियों के कल्याण की बात की गई है। सभी प्राणी प्रसन्न रहें। किसी भी प्राणी को कोई व्याधि या मानसिक व्यथा न हो। सभी कर्मों से सिद्ध हों। सभी प्राणियों को अपना तथा अपने पुत्रों के हित के समान वर्ताव करें।


(३) विश्व को श्रेष्ठ बनाने का संकल्प :


 ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ (सारी दुनिया को श्रेष्ठ, सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाएंगे।) यह संकल्प भारतीयता के श्रेष्ठ उद्देश्य को व्यक्त करता है।


(४) त्याग की भावना :


 ईशावास्योपनिषद के प्रथम श्लोक में ही भारतीयता में त्याग की भावना स्पष्ट है।


ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्यां जगत।

तेन त्यकतेन भुंजीथा मा गृधः कस्य स्विद्धनम ॥


अखिल ब्रह्माण्ड में जो कुछ जड़ चेतन स्वरूप जगत है। यह समस्तम ईश्वर में व्याप्त है। उस ईश्वर को साथ रखते हुए त्याग पूर्वक भोगते रहो। उसमें आसक्त नहीं हों क्योंकि धन भोग्य किसका है अर्थात् किसी का भी नहीं। यह राजा से लेकर रंक तक त्यागपूर्वक जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा देती है। भारत में राजा जनक से राजा हर्ष तक यही प्रेरणा मिलती है।


(५) वितरण के प्रति दृष्टि :


शत् हस्त समाहर सहस्रहस्त संकिर।

कृतस्य कार्यऽस्य चेह स्फार्ति समावह ॥ - अथर्ववेद


हे मनुष्य। तू सौ हाथों से धन प्राप्त कर तथा हजार हाथों वाला बनकर उस धन को दान कर। इस उदार भावना से मनुष्य की अधिक से अधिक उन्नति हो सकती है। इस भावना से समाज में धन व संपत्ति का अधिक समान वितरण हो सकता है।


(६) सहिष्णुता : सहिष्णुता से तात्पर्य सहनशक्ति व क्षमाशीलता से है। धैर्य, विनम्रता, मौन भाव, शालीनता आदि इसके अनिवार्य तत्त्व हैं। भारतीयता का यह तत्त्व भारतीय संस्कृति को अन्य संस्कृतियों से अलग करता है। यही कारण है कि भारत की कभी भी अपने राज्य विस्तार की इच्छा नहीं रही तथा सभी धर्मां को अपने यहां फलते-फूलने की जगह दी।


(७) अहिंसात्मक प्रवृत्ति : अहिंसा से तात्पर्य हिंसा न करने से है। कहा गया है कि ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ सभी प्राणियों को अपनी आत्मा के समान मानो। भगवान महावीर, बुद्ध तथा महात्मा गांधी ने विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। महाभारत में भी कहा गया है कि मनसा, वाचा तथा कर्मणा किसी को भी कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। हमारे ऋषियों ने अहिंसा को धर्म का द्वार बताया है। जैन धर्म में अहिंसा को परम धर्म बताया गया है।


(८) आध्यत्मिकता : आध्यात्मिकता भारतीयता को अन्य संस्कृतियों के गुणों से अलग करती है। ईश्वर के प्रति समर्पण भाव ही आध्यात्मिकता है। भक्ति, ज्ञान व कर्म मार्ग से आध्यात्मिकता प्राप्त की जा सकती है। यह आत्मा के संपूर्ण विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। पुरूषार्थ चतुष्टय आध्यात्म में संचालित, प्रेरित व अनुशासित होता है। आध्यात्म के क्षेत्र में भारत को गुरु मानता है।


(९) एकेश्वरवाद की अवधारणा :


एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति। (ईश्वर एक है। विद्वान उसे अनेकों नाम से पुकारते हैं)

इस्लाम ने भी ईश्वर के एक होने की बात की है परन्तु उसी सांस में यह भी कह दिया कि उसका पैगम्बर मौहम्मद है तथा उसके ग्रंथ कुरान में भी आस्था रखने की बात कही। यही बात ईसाइयत में है। भारत में ईश्वर को किसी पैगम्बर व ग्रंथ से नहीं बांधा है।


(१०) सर्वधर्म समभाव : 


भारत में सभी धर्म राज्य की दृष्टि में समान हैं। पूजा की सभी पद्धतियों का आदर करो तथा सभी धर्मां के प्रति सहिष्णुता बरतो। धर्म, मजहब, पंथ एक नहीं हैं। इस्लाम व ईसाइयत को पंथ/मजहब कह सकते हैं जबकि हिंदु धर्म 'जीवन पद्धति' है। कहा भी गया है कि-


‘‘धारयते इति धर्मः’’


अर्थात् जो धारण करता है, वहीं धर्म है। इसका अर्थ है पवित्र आचरण व मानव कर्तव्यों की एक आचार सहिंता। मनु ने धर्म के 10 लक्षण (तत्व) बताए हैं-


१. धृति - धैर्य / संतोष

२. क्षमा - क्षमा कर देना

३. दम - मानसिक अनुशासन

४. अस्तेय - चोरी नहीं करना

५. शौच - विचार व कर्म की पवित्रता

६. इंद्रिय निग्रह - इंद्रियों को वश में करना

७. धी - बुद्धि एवं विवेका का विकास

८. विद्या - ज्ञान की प्राप्ति

९. सत्य - सच्चाई

१०. अक्रोध - क्रोध न करना


धर्म की इस परिभाषा में कुछ भी सांप्रदायिक नहीं है। भारतीय दृष्टि से लोग अलग पंथ/मजहब/पूजा पद्धति में विश्वास करते हुए इस धर्म का अनुसरण कर सकते हैं। जीवन के प्रति संश्लिष्ट दृष्टि - चार पुरूषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मानव जीवन के प्रेरक तत्व।


(११) धर्म राज्य / राम राज्य की अवधारणा : राजा या शासन लोकहित को व्यक्तिगत रूचि या अरूचि के उपर समझे। महाभारत में निर्देश हैं कि जो राजा प्रजा के संरक्षण का आश्वासन देकर विफल रहता है तो उसके साथ पागल कुत्ते का सा व्यवहार करना चाहिए।


(१२) अनेकता में एकता : भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण विशेषता है कि यहां अनेक जातियां, खान-पान, वेश-भूषा, भाषा, प्रांत होने के बावजूद भी राष्ट्र के नाम पर एकता है।


(१३) राष्ट्रीयता : भारतीयता राष्ट्रीयता की सशक्त भावना पैदा करने का ही दूसरा नाम है। राष्ट्रीयता में केवल राजनीतिक निष्ठा ही शामिल नहीं होती बल्कि देश की विरासत और उसकी संस्कृति के प्रति अनुशक्ति की भावना, आत्मगर्व की अनुभूति आदि भी शामिल है। राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत, राष्ट्रभाषा, राष्ट्रीय वीरों, महापुरूषों, राष्ट्रीय नैतिकता तथा मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना भी राष्ट्रीयता का एक अंग है। इसलिए भारतीयता सभी भारतीयों में राष्ट्रीयता की सशक्त भावना पैदा करने के सिवाय कुछ भी नहीं है।


 


अगस्त काम्टे का जीवन परिचय व कृति


अगस्त काॅम्टे को समाजशास्त्र का पिता कहा जाता हैं। अगस्त काम्टे का जीवन परिचय काॅम्टे का जन्म 19 जनवरी 1798 ई. मे हुआ था। उनक जन्म मौन्टपीलियर नामक स्थान में पर हुआ था। काॅम्टे के माता-पिता कैथोलिक धर्म के कट्टर समर्थक थे। 1818 ई. मे सन्त साइमन के सम्पर्क में आये थे जिसका उन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। लेकिन वह 6  बर्ष तक ही उनके साथ रहे काॅम्टे ने अपने विचारक साइमन पर यह आरोप लगाया की वह ढ़ोगी और पाखण्डी हैं। काॅम्टे का कहना था की वह उनके विचारो का शोषण कर अपने नाम से स्वंय उनका प्रयोग करता था। इस कारण दोनो के सम्बन्ध आपस मे समाप्त हो गए। काॅम्टे का विवाह 1825 मे कोरोलिन मेसिन से हुआ लेकिन दोनो के मध्य गहन मत-भेद होने के कारण 17 बर्ष बाद सन् 1842 मे विवाह-विच्छेद भी हो गया। सन् 1830 मे उनकी पुस्तक 'पाॅजिटिव फिलासफी' का पहला भाग प्रकाशिक हुआ इस पुस्तक मे छः भाग है जिसका अन्तिम भाग 1942 मे प्रकाशिक किया गया था। इस पुस्तक के प्रकाशित होने से उनकी ख्याति चारो ओर फैलने लगी।केवल 59 वर्ष की आयु मे ही 1857 को उनकी मृत्यु हो गई।



अगस्त काम्टे की कृतियाँ या रचनाएँ 



काम्टे ने अनेक मौलिक ग्रंथो की रचना की। काॅम्ट की रचनाओं मे से निम्नलिखित रचनाएँ अधिक महत्वपूर्ण जो इस प्रकार है--


1. A Prosctus of the scientific work required for the reorganization of society, 1822

 

यह काम्टे की पहली रचना है। इसमे काॅम्ट ने सामाजिक पुनर्निर्माण की योजना प्रस्तुत की तथा उसे व्यावहारिक रूप देने के लिए महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये। सेंट साइमन ने इस पुस्तक की भूमिका लिखी थी।


2. The course of positive philosophy, 1830-42


ह पुस्तक छह खण्डों मे प्रकाशित हुई। इसमे काॅम्ट ने प्रत्यक्षवाद की व्याख्या की। इसका उद्देश्य सामाजिक अध्ययन को वैज्ञानिक रूप प्रदान करना था। इसी पुस्तक मे आपने चिन्तन के तीन स्तर, विज्ञानों का वर्गीकरण, समाजशास्त्र की प्रकृति, आवश्यकता आदि का उल्लेख किया है। काॅम्ट की रचनाओं मे इसे सर्वाधिक उपयोगी और महत्वपूर्ण समझा जाता है।


3. System of positive polity, 1851-54


यह पुस्तक चार खण्डों मे प्रकाशित हुई। इसमे काॅम्ट ने अपने सिद्धांतिक विचारों को व्यावहारिक रूप देने का प्रयत्न किया। इस पुस्तक की रचना का उद्देश्य मानवता के नवीन धर्म का प्रतिपादन कर सामाजिक पुनर्निर्माण की एक व्यावहारिक योजना प्रस्तुत करना था, लेकिन इसी पुस्तक के कारण काॅम्ट के विचारों की वैज्ञानिकता मे संदेह भी किया जाने लगा। जाॅन स्टुअर्ट मिल ने लिखा है कि," इस पुस्तक मे काॅम्ट ने अपने वैज्ञानिक चिंतन की स्वयं ही निर्ममता से हत्या कर दी।" ऐसा प्रतीत होता है कि काॅम्ट ने अपनी महिला मित्र श्रीमती डी. वाॅक्स से प्रभावित होकर मानवता के धर्म को सामाजिक पुनर्निर्माण का मुख्य आधार मानना आरंभ कर दिया। इस पुस्तक मे उन्होने स्त्रियों की प्रशंसा की है तथा उनके दैवीय एवं नैतिक गुणों का वर्णन किया है।


4. Catechism of positivism, 1852

 

यह काम्टे की अंतिम रचना मानी जाती है जिसका प्रकाशन सन् 1852 मे हुआ। इस कृति मे काॅम्ट ने जनतंत्र का समर्थन किया एवं प्रेस तथा वैयक्तिक स्वतंत्रता को सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक बताया।






समसामयिक सामाजिक मूल्य मान एक आकलन

      02

पूरोवाक

समसामयिक सामाजिक मूल्य मान एक आकलन


      इधर हाल के वर्षों में वैश्विकरण और औद्योगिक करण व संचार क्रांति के कारण भारतीय समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए हैं। नगरीय समाज और ग्रामीण समाज में जो स्तरीय विभाजन है, उसमें भी अनेक उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, गॉवों से लोग रोजी खोजने आश्रितों को उच्च शिक्षा दिलाने व पारिवारिक उपेक्षा से पीड़ित प्रताड़ित होकर अच्छे जीवन स्तर की आशा में शहरों में जा बस रहें हैं।

गांव की जमीन बेचकर ये लोग सुरक्षा स्वास्थ्य कारणों से इन लोगों ने शहरों की कालोनियों में आशियाने बनाए हैं व बना रहें हैं। गरीब मेहनतकश निम्न और मध्यम वर्गीय जातियां जैसे मुसहर, चमार, यादव, कोइरी,कुरमी ,लोहार कोहार नाई धोबी इत्यादि लोगों की नई पीढ़ी मोटे काम ईट गारा, बागवानी, होटलो में मजूरी आदि को चुना है। नगर के चौराहों पर मजूरी के लिए कामगारों की भीड़ जुटती है। यह दैनिक मजूरी के लिए लोगों के द्वारा ले जाए जाते हैं।

 जहां तक गांव का सवाल है उसमें नाकारा युवा पीढ़ी सवर्णों मेें विशेष रूप से बड़ी है, नकल से पैसा देकर हाई स्कूल, इंटर, बीए, एम0ए पास नौजवान छात्र खेती बारी से जुड़ने परिश्रम करने से भाग रहे हैं। गांव में ताश जुआ शराब, क्रिकेट,मोबाइल के मोह से जुड़े यह नौजवान अनेक सामाजिक समस्याओं में झगड़ते जा रहे हैं। गांव के नाइर्, धोबी लोहार ,कुहार मोची तो बड़े शहरों या गांव के बाजार चटटियों पर डेरा डालकर रोजी रोटी की जुगत में लगे हैं, परिवार विभाजन, बढती जनसेख्या  से किसान की जोत का रकबा घटा है। गांव के सवर्णो की सब खेती किसानी अधिया, तीसरी,बटाई या कूत पर चढ गई है।

 इधर कोरोना महामारी ने गांव की खेती किसानी रोजी रोजगार को चपेट में ले लिया है, आज ही 72 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है पर 75 सालों बाद गांव में स्वास्थ सुविधाएं नाम मा़त्र की ही है।


satya mitra Aabhar

 मैं समाजशास्त्र का छात्र और अध्येता हूं, तथा प्राध्यापक भी। सोचता रहा हूं कि 21 वीं सदी में सामाजिक मूल्य और मानों में कहां-कहां परिवर्तन हुआ है । अध्ययन काल से अध्यापन काल तक, पूर्वांचल से उत्तरांचल तक की शैक्षिक यात्रा में पढ़ने पढ़ाने के क्रम में समय के साथ-साथ समाज में अनेक परिवर्तन हुआ है। पर हमारे भारतीय समाज में विशेषतः मध्यम वर्गीय समाज में मूल्यों मानव के जो उपादान रहे है,ं उनकी सम्यक जानकारी आज के युवा वर्ग में उतनी परिलक्षित नहीं है, उन्हें इसके प्रति जिज्ञासा भी उतनी जान पड़ती है। विश्वविद्यालयों के मुख्यतः कला संकाय में सामाजिक शिक्षा का जो महत्व दिया जाना चाहिए, वह उसे शिक्षाविदों विद्वानों ने इस पीढी में शायद उतना दिया ही नहीं। अपने इन आलेखों में, मैंने नई पीढ़ी को प्रोत्साहन देने के लिए सामाजिक मूल्यों मानव की चर्चा उठाई है, कुछ नया जानने समझने की दशा में यह आलेख यदि सहयोगी होंगे तो निश्चय ही हमारा श्रम कृत्य कार्य होगा।
 जिन विद्वानों, आचार्यों को उद्धृत किया है, सहयोग लिया है उनके प्रति कृतज्ञ हूॅ ,श्रद्धा पूर्वक उनके दाय के प्रति प्रणित निवेदन करता हूं।  ैं अपनी माता पिता और परिवार का आभारी हूं जिसने मुझे लिखते रहने का समय और प्ररेणा दी है। इस कार्य में प्रकाशन, मुद्रक और अन्य उन सभी सहयोगी के प्रति विनम्र नमन।
                             
                                                   सत्यमित्र

Monday, October 31, 2022

सूचना का अधिकार नियमावली

  

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GOVERNMENT DEGREE COLLEGE SITARGANJ

 

7/24/2022

 

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सूचना का अधिकार नियमावली



 

मैनुअल – 1 [धारा 4 (1) (बी) (i)]

 

संगठन के विवरण

 

1. संक्षिप्त इतिहास

 

शासकीय डिग्री महाविद्यालय सितारगंज, ऊधमसिंह नगर, सिसोना के शांतिपूर्ण गांव में सितारगंज हल्द्वानी रोड पर स्थित है। महाविद्यालय कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से सम्बद्ध है इसकी स्थापना के बाद से। इसने 2 (F) और के लिए भी आवेदन किया है 12 (B) (UGC.pdf - Google Drive) कॉलेज की शुरुआत कला संकाय में छह विषयों के साथ हुई थी, अर्थात् हिंदी, राजनीति विज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, अंग्रेजी और शिक्षा। छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने के लिए 2019 में वाणिज्य और विज्ञान संकाय की शुरुआत की गई थी। इसके अलावा, उच्च शिक्षा की सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले छात्रों के बीच नैतिक मूल्यों को विकसित करने के लिए, कॉलेज एनएसएस और रोवर रेंजर्स जैसी पाठ्येतर गतिविधियों की पेशकश करता है। यह अपने छात्रों के बीच मानवतावादी दृष्टिकोण और सेवा की भावना विकसित करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान, उन्नत भारत अभियान, मतदाता जागरूकता आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी योगदान देता है। अपनी आधुनिक बुनियादी सुविधाओं और पुस्तकालय के साथ, कॉलेज छात्रों को उनकी पढ़ाई में सहायता करता है। कामकाजी आबादी को शिक्षा प्रदान करने के लिए, कॉलेज के परिसर में एक उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय केंद्र है, जो बीए, बीकॉम और बीएससी जैसे स्नातक पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला प्रदान करता है। कॉलेज सभी विभागों में उच्च योग्य, ऊर्जावान और सहायक संकाय के साथ संपन्न है जो कॉलेज के अकादमिक माहौल को प्रोत्साहित करते हैं।

 

कॉलेज का नाम और पता

नाम

राजकीय महाविद्यालय सितारगंज

पता

राजकीय महाविद्यालय सितारगंज जिला  - उधम सिंह नगर

शहर

सितारगंज

राज्य

उत्तराखंड

पिन

262405

वेबसाइट

http://gdcsitarganj.in/

 

कॉलेज परिसर में उपलब्ध सुविधाएं

 

·         पुस्तकालय : महाविद्यालय का केंद्रीय पुस्तकालय पुस्तकों, पत्रिकाओं, पत्रिकाओं और विश्वकोशों के संग्रह से समृद्ध है।

·         अनुसंधान: संस्थान हमेशा अपने संकाय सदस्यों को अनुसंधान गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। वर्तमान में, संस्था के 04 संकाय, (श्रीमती अनीता नेगी, श्रीमती सविता रानी, श्री भुवनेश कुमार, और रितिका गिरी गोस्वामी अपनी पीएच.डी. कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से) संस्थान के कई संकाय सदस्यों ने अपने शोध पत्रों/लेखों को विभिन्न सहकर्मी-समीक्षित और अन्य ISSN/ISBN पत्रिकाओं में प्रकाशित किया है। वे देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित विभिन्न सेमिनारों और सम्मेलनों में अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत करते हैं।

·         बोटैनिकल गार्डन : कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने औषधीय महत्व के कई दुर्लभ पौधों की प्रजातियों के साथ एक अच्छा बगीचा विकसित किया है।

·         नेटवर्क संसाधन केंद्र: कॉलेज में पुस्तकालय में अच्छी तरह से सुसज्जित नेटवर्क संसाधन केंद्र है जो इंटरनेट, फोटोकॉपी और प्रिंटिंग आदि की सुविधा प्रदान करता है. यह प्रिंटिंग मशीन, फोटोकॉपी और स्कैनिंग मशीन आदि से समृद्ध है।

·         खेल सुविधा: कॉलेज में टेबल टेनिस, बैडमिंटन, वॉलीबॉल, खो-खो, शतरंज, योग आदि जैसे विभिन्न खेल उपकरण और खेल का मैदान है।

·         प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन : शिक्षक एक दिवसीय परीक्षाओं जैसे बैंकिंग, रेलवे, सेना, SSC, UKPSC, आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में छात्रों की मदद करते हैं।

·         करियर काउंसलिंग सेल : भविष्य की योजना के संबंध में छात्रों का मार्गदर्शन करने के लिए कॉलेज ने एक कैरियर परामर्श का गठन किया है। छात्रों को कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा प्रदान की जा सकती है। प्रत्येक माह में दो बार विद्यार्थियों की काउंसलिंग की जाती है।

·         कैंटीन: छात्रों के लिए कॉलेज में कैंटीन है।

·         प्रयोगशाला : जूलॉजी विभाग, वनस्पति विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिकी और शिक्षाशास्त्र करने के लिए प्रयोगशालाएं हैं।

·         संस्थागत मूल्य और सर्वोत्तम प्रथाएं : संस्था का मुख्य उद्देश्य अपने छात्रों को सर्वोत्तम शैक्षणिक वातावरण प्रदान करना है जहाँ वे शिक्षा के उच्चतम मानकों को प्राप्त कर सकें। इस संबंध में, संस्था अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मूल्यों और प्रथाओं का अभ्यास कर रही है।

 

आचरण और अनुशासन के नियम

·         अनुशासन : कॉलेज परिसर में सख्त अनुशासन बनाए रखता है। छात्रों को प्रिंसिपल और टीचिंग फैकल्टी के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है। अनुशासनहीनता या नियमों के उल्लंघन के किसी भी कार्य पर विचार नहीं किया जाएगा। इस तरह के उल्लंघन के मामले में सख्त कार्रवाई की जाती है।

·         उपस्थिति : विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, प्रत्येक छात्र को व्याख्यान में कम से कम 75% उपस्थिति आवश्यक है।

·         ड्रेस कोड : कैंपस में छात्रों के लिए ड्रेस कोड का पालन किया जाता है।

·         पहचान पत्र : सत्र की शुरुआत में, कॉलेज छात्रों को पहचान पत्र प्रदान करता है। कॉलेज परिसर में कार्ड को प्रमुखता से दिखाना सभी के लिए अनिवार्य है। इसके बिना किसी भी छात्र को कक्षाओं या अन्य गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

·         एंटी रैगिंग सेल : सरकार द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार कॉलेज परिसर में रैगिंग सख्त वर्जित है। कानून का कोई भी उल्लंघन सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई का पात्र है।

 

सर्वोत्तम प्रथाएं:

·         शिक्षण, सीखने और मूल्यांकन प्रक्रियाओं में आईसीटी उपकरणों और संसाधनों का उपयोग।

·         वृक्षारोपण।

·         वानस्पतिक, प्राणी विज्ञान भ्रमण और औद्योगिक दौरे।

·         संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन।

·         छात्रों और कर्मचारियों की सराहना।

·         प्रतियोगी परीक्षाओं के संबंध में छात्रों को मार्गदर्शन

·         वार्षिक कॉलेज पत्रिका सृजन

·         शिक्षक प्रायोजित छात्रवृत्तियां दी जाती हैं।

·         ग्रीन ऑडिट।

·         लड़कियों के लिए परामर्श।

·         छात्रों के लिए ड्रेस कोड

·         राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्वपूर्ण दिनों का उत्सव

·         महान हस्तियों की जन्म और मृत्यु वर्षगांठ का उत्सव

 

2. दृष्टि

·         कॉलेज की दृष्टि छात्रों को उनकी पसंद के अनुशासन में सर्वोत्तम गुणवत्ता और मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान करके उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करना है और इस प्रकार, अपने छात्रों को उनकी कक्षा और पंथ के बावजूद सर्वोत्तम ज्ञान और कौशल से लैस करना है। और संस्थान को उच्च शिक्षा के एक प्रतिष्ठित संस्थान के रूप में विकसित करना।

 

3. मिशन

कॉलेज का मिशन अकादमिक माहौल को प्रोत्साहित करना है जिसमें नए विचार, अनुसंधान और छात्रवृत्ति पनपती है, संस्थान में नवीन और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण-शिक्षण को बढ़ावा देने के लिए, सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए, अपने छात्रों में जीवन के आंतरिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए, युवा दिमाग को बौद्धिक, सामाजिक और आध्यात्मिक परिवर्तन की यात्रा शुरू करने में सक्षम बनाना और इस प्रकार, उत्कृष्ट विद्वानों, नेताओं, शिक्षकों, खिलाड़ियों और छात्रों को अनुसंधान में तैयार करना।

 

4. कॉलेज के कर्तव्य:

कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा अनुमोदित विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों का संचालन करना और इस उद्देश्य में योगदान देने वाली विभिन्न गतिविधियों को करना।

 

5. महाविद्यालय द्वारा प्रदान किए जाने वाले कार्य/सेवाएं :

कॉलेज कुमाऊं विश्वविद्यालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कला, वाणिज्य और विज्ञान में स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। कॉलेज का एक मान्यता प्राप्त केंद्र है। उत्तराखंड मुक्त विश्व विद्यालय का एक केंद्र है।

 

6. कॉलेज का पता:

Government Degree College, Sitarganj Vill- Sisona, Chorgaliya Road, Sitarganj Udham Singh Nagar- 262405

Email : gdcsitarganj@gmail.com

Website http://gdcsitarganj.in/

 

 


 

मैनुअल - 2 [धारा 4 (1) (B) (ii)]

 

अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां और कर्तव्य

·         प्राचार्य महाविद्यालय के शैक्षणिक एवं प्रशासनिक अधिकारी हैं।

·         कॉलेज के शिक्षण संकाय, प्रशासन, पुस्तकालय और प्रयोगशाला कर्मचारियों और अन्य कर्मचारियों सहित अन्य अधिकारियों के अधिकार और कर्तव्य भी कुमाऊं विश्वविद्यालय और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय के नियमों और विनियमों के अनुसार हैं।

 

मैनुअल - 3 [धारा 4 (1) (B) (iii)]

 

विभिन्न मामलों पर निर्णय लेने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया

·         कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल के अनुसार कर्मचारी परिषद की बैठकों में प्रवेश देने, सेमिनार, खेलकूद, पाठ्येतर गतिविधियों, शिक्षकों को काम का वितरण, समय-सारणी तैयार करने जैसी विभिन्न गतिविधियों के आयोजन के निर्णय लिए जाते हैं।

·         महाविद्यालय का समस्त कार्य प्राचार्य के नियंत्रण में है।

 

मैनुअल - 4 [धारा - 4 (1) (बी) (iv)]

 

कार्यों के निर्वहन के लिए निर्धारित मानदंड

कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय  द्वारा दिए गए विनियमों और निर्देशों के अनुसार विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के लिए मानदंड और मानक प्राचार्य द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

 

मैनुअल - 5 [धारा - 4 (1) (बी) (v)]

 

कार्यों के निर्वहन के लिए नियम, विनियम, निर्देश, नियमावली और रिकॉर्ड

 

कार्यों के निर्वहन के लिए नियम, विनियम, निर्देश, नियमावली और अभिलेखों का पालन कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय के मानदंडों के अनुसार किया जाता है।

 

मैनुअल - 6 [धारा 4(1) (बी) (vi)]

 

आधिकारिक दस्तावेज और उनकी उपलब्धता

·         कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रकाशित निर्देश, अधिसूचना, परिपत्र। समय-समय पर उत्तराखंड के (विश्वविद्यालय/ कॉलेज और उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध)

·         कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल (https://www.kunainital.ac.in/) की वेबसाइट पर उपलब्ध विभिन्न पाठ्यक्रमों के पाठ्यक्रम

·         आधिकारिक दस्तावेज कॉलेज कार्यालय में उपलब्ध हैं।

 

मैनुअल - 7 धारा 4 (1) (बी) (vii)

 

सार्वजनिक भागीदारी का तरीका

कॉलेज हर साल सामाजिक भागीदारी के लिए कई गतिविधियों का आयोजन करता है। विभिन्न गतिविधियों में वार्षिक सभा, पूर्व छात्र बैठक, अभिभावक बैठक, पुरस्कार वितरण, डिग्री वितरण, और विभिन्न अन्य कार्यक्रम शामिल हैं जहां जनता सक्रिय रूप से शामिल है।

 

मैनुअल - 8 धारा 4 (1) (बी) (viii)

 

विभिन्न समितियों की सूची

कॉलेज के शैक्षणिक और प्रशासनिक मामलों के प्रबंधन के लिए, निम्नलिखित 29 समितियों का गठन किया गया है। सभी समितियों का विवरण महाविद्यालय की वेबसाइट पर दिया गया है http://gdcsitarganj.in/

 

1. Teaching Learning And Evaluation

2. Alumni Committee

3. Annual Social Gathering Committee

4. College Examination

5. Co-Operative Store

6. Career Employment

7. College Prospectus And Annual Report

8. College Development Committee

9. College Annual Report

10. Uni. Youth Festival Science Club, Science Exhibition, And Cultural Committee, Debate, Essay

11. Computer Centre Committee & Website

12. College Magazine

13. Cycle Stand, Canteen, Discipline in College Campus

14. College Council

15. Staff Council

16. Feedback Committee

17. Teacher-Guardian scheme

18. Sport Committee

19. Library Committee

20. Internal Quality Assurance Cell

21. Students Admission

22. Grievances Redressal Cell

23. Students Council

24. Students Attendance

25. Time Table Committee

26. College Research Committee (U.G.C. Proposals, Research Projects, College Research

Activities And Extension, Students Seminar)

25. Woman Cell And Sexual Harassment, Internal Complaint Committee-ICC

26. Anti-ragging Committee

27. RTI Act 2005

28. N.S.S

29. College Website

 

मैनुअल - 9 धारा 4 (1) (बी) (ix)

 

कर्मचारियों की निर्देशिका

यह कॉलेज की वेबसाइट पर उपलब्ध है:  http://gdcsitarganj.in/

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (x)]

 

विभिन्न शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के वेतनमान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा निर्धारित और कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा अपनाए गए हैं।

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xi)]

 

प्रत्येक एजेंसी को आवंटित बजट

विभिन्न विभागों द्वारा अनुशंसित बजट और वित्तीय अनुमानों को कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय/प्रधानाचार्य द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xii)]

 

सब्सिडी कार्यक्रम के निष्पादन का तरीका -

Not applicable –––

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xiii)]

 

दी गई रियायतों, परमिटों या प्राधिकरणों के प्राप्तकर्ताओं का विवरण

 

कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय/प्रधानाचार्य के प्रावधानों के अनुसार।

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xiv)]

 

इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध जानकारी

आरटीआई के तहत सभी नियमावली और कॉलेज के बारे में अन्य जानकारी कॉलेज की वेबसाइट पर उपलब्ध है http://gdcsitarganj.in/

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xv)]

 

सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध साधन, तरीके और सुविधाएं:

सूचना पट्ट, सूचना विवरणिका, महाविद्यालय की वेबसाइट के माध्यम से  और कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल और उत्तराखंड उच्च शिक्षा निदेशालय में उपलब्ध है।

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xvi)]

 

अपील-प्राधिकारी

Dr. Subhash Chandra Verma (Principal)
Government Degree College, Sitarganj
Vill- Sisona, Chorgaliya Road, Sitarganj Udham Singh Nagar ?
Pin - 262405
Email id-
gdcsitarganj@gmail.com

 

 

मैनुअल - 10 [धारा - 4 (1) (बी) (xvii)]

 

अन्य उपयोगी जानकारी

आरटीआई अधिनियम के तहत सूचना मांगने वाला व्यक्ति आरटीआई नियमों के अनुसार आवेदन कर सकता है।

संपर्क-

https://rti.gov.in/

https://www.ugc.ac.in/