25 मार्च दिन बुधवार
ॐ जयन्ती मंगला काली
भद्रकाली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नमः
सबकी रक्षा करना माँ.
आप सभी को चैत्र नवरात्र की मंगल कामनाएँ...
भव्य राम मंदिर के निर्माण का पहला चरण आज सम्पन्न हुआ....
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम त्रिपाल से नए आसन पर विराजमान...मानस भवन के पास एक अस्थायी ढांचे में 'रामलला' की मूर्ति को स्थानांतरित किया गया।
जय श्री राम
जय श्री राम....
जय योगी आदित्यनाथ जी...
एक यात्रा
नाथ संप्रदाय को बांध रही हो अघोर संप्रदाय और बाबा और बाबा योगी आदित्यनाथ जिस नाथ संप्रदाय से आते हैं ।जैसे ही सुना की योगी यूपी के मुख्यमंत्री बने वैसे ही मन के किसी कोने में यह गीत बज गया......
वन्दे मातरम्! सुजलां सुफलां मलयज शीतलां शस्यश्यामलां मातरम्....
(.आनन्द मठ के लेखक बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय बांग्ला भाषा का एक उपन्यास की रचना बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्यायने १८८२ में की थी।..आनंदमठ राजनीतिक उपन्यास है। इस उपन्यास में उत्तर बंगाल में 1773 के. सन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है....)
धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं...राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं" ---धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं .....और राजनीति से बड़ाकोई धर्म नहीं" की आवाज मन के किसी कोने से आयी..... क्योंकि जो शख्स देश के सबसे बड़े सूबे यूपी का मुखिया बना है ।वह गोरक्ष पीठ से निकला है। शिव के अवतार महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर स्थापित मंदिर से निकला है।
नाथ संप्रदाय का विश्वप्रसिद्द गोरक्षनाथ मंदिर से निकला है। जो हिंदू धर्म,दर्शन,अध्यात्म और साधना के लिये विभिन्नसंप्रदायों और मत-मतांतरों में नाथ संप्रदाय का प्रमुख स्थान है । और हिन्दुओं के आस्था के इस प्रमुख केन्द्र यानी गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वरमहतं आदित्यनाथ जब देश के सबसेबडे सूबे यूपी के सीएम हैं, ।जो आज का सच है.....धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं...राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं" एक बात और याद आ रही है..आज के"संतो में राजनीतिज्ञ धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं...राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं"और राजनीतिज्ञो में संत उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री श्रीमान योगी जी सनातनधर्म की जिस धारा के पीठाधीश्वर हैं/उसके आदि पुरूष भगवान दत्त हैं ।जो सप्त ऋषि मंडल के ऋषि अत्रि और माता अनुसूइया के पुत्र होने के कारण दत्त के साथ अत्रि समाविष्ट हुआ और " भगवान दत्तात्रेय " के नाम से संस्थापित हुए ।कालांतर में इस धारा के दो भाग हुए ।हिमाली और गिरनारी ।हिमाली शाखा के आदि पुरूष बाबा गोरख नाथ और केंद्र हुआ उनके नाम पर गोरखपुर ।इस धारा में अधीश्वर के नाम के साथ अन्त में नाथ शब्द लग जाता है ।बाबा गोरख नाथ के गुरू मछन्दर नाथ और उनके पहले बाबा जालन्धर नाथ ।जैसे अन्तिम दो (वर्तमान योगी जी से पहले)महथं द्विग विजय नाथमहथं अवैद्य नाथ ।***************भगवान दत्तात्रेय की दूसरी धारा गिरनारी का केन्द्र वाराणसी और सर्वत्रपरम आदरणीय बाबा कीनाराम और अघोरेश्वर महाप्रभु अवधूत भगवान राम ।