Monday, July 17, 2017
***** कभी जब याद आ जाते हो..
कभी जब याद आ जाते हो तुम
मन गाने लगता है
भूला ही कब था
हाँ भुलाने के जतन सारे किये थे
रेशा रेशा तिनका तिनका
और कारण इसी से
रूठी थी कविता,
मन भी था रूठा
क्यूँ लिखूं क्या खाश है
सबके जीवन में होती है क्या
कुछ ऐसी ही प्यास है
फिर आया है सावन
घिर आई है घटा तेरी याद की
जिसमे तू नहीं है और सब कुछ है
महफ़िल, शाम, संगीत संगी साथी
भीग रहा हूं और तप रहा बदन
ढूढ़ रही है नज़र दूर दूर तक तू नही
कही नहीं, सिर्फ काले बादल है
झुलस गया हूँ भीग कर
तभी बजता है संगीत यही
तेरा मेरा है, पिछला नाता कोई
यूँ ही नही दिल लुभाता कोई
जब कभी याद आ जाते हो तुम
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